रेबीज रोग से बचाव के लिए टीकाकरण अनिवार्य-डॉ. सरबजीत सिंह

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करतारपुर 28 सितंबर (जसवंत वर्मा) सिविल सर्जन जालंधर डाॅ. गुरुमीत लाल कें निर्देश अनुसार और वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी सीएचसी करतारपुर डाॅ. सरबजीत सिंह के कुशल नेतृत्व में आम जनता को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व रेबीज दिवस मनाया गया। सीएचओ ने स्वास्थ्य केंद्रों पर आम लोगों को रेबीज बीमारी के बारे में जागरूक भी किया। इस अवसर पर आर्मी कॉलेज ऑफ नर्सिंग जालंधर कैंट के विद्यार्थियों ने रेबीज बीमारी के बारे में जागरूकता पोस्टर बनाए। इस मौके पर बीईई राकेश सिंह, क्लीनिकल इंस्ट्रक्टर अप्सरा कलसी, संध्या मसीह व स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।
एसएमओ डाॅ. सरबजीत सिंह ने बताया कि रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। रेबीज़ वायरस कभी-कभी पालतू जानवर द्वारा चाटने या जानवर की लार के सीधे संपर्क से भी फैलता है। रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, जिसके लक्षण बहुत देर से सामने आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा साबित होती है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक उपचार के तौर पर घाव को बहते पानी में साबुन से 15 मिनट तक धोने से इस बीमारी का खतरा कम हो जाता है. कुत्ते के काटने के बाद नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर चिकित्सीय सलाह के अनुसार एंटी-रेबीज का टीका लगवाना बहुत जरूरी है, जिससे काफी हद तक रेबीज रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिन लोगों के घरों में पालतू कुत्ते हैं, उन्हें टीका लगवाना चाहिए, ताकि कुत्ते के काटने पर लोगों को रेबीज से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि रेबीज का कोई इलाज नहीं है, केवल रक्षात्मक उपाय ही किए जा सकते हैं।
बीईई राकेश सिंह ने बताया कि रेबीज रोग पर नियंत्रण के उद्देश्य से हर वर्ष 28 सितंबर को “विश्व रेबीज दिवस” ​​के रूप में मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों में रेबीज बीमारी और उसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाना है।

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