ममदूत पुलिस ने तकनीकी पक्ष से सभी संसाधन जुटाने के बाद गाजियाबाद में आरोपी के घर पर छापा मारा और नाबालिग लड़की को बरामद किया।
22 नवंबर को फिरोजपुर जिले के ममदोट कस्बे के जालो के गांव की रहने वाली 14 साल की लड़की अंजू बाला पबजी गेम के चक्कर में फंसने के बाद अचानक अपने घर से गायब हो गई थी। आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद पुलिस को हाईटेक तरीके से फिरोजपुर से 450 किलोमीटर दूर गाजियाबाद की झुग्गियों में लड़की मिली। ठीक होने के बाद लड़की को सुरक्षित हालत में उसके माता-पिता को सौंप दिया गया है।
घटना का विवरण देते हुए फिरोजपुर ग्रामीण के डीएसपी करण शर्मा ने बताया कि 22 नवंबर को सुबह करीब 4.30 बजे 14 वर्षीय लड़की अंजू बाला अपने घर से लापता हो गई थी। बारीकी से कराई गई जांच में पता चला कि लड़की पबजी गेम का शिकार हो गई थी और मानसिक अस्थिरता के कारण वह किसी के चंगुल में फंस गई थी। तकनीकी पक्ष से एक-एक सुराग तलाशने का प्रयास किया गया तो पता चला कि पबजी गेम खेलने के दौरान युवती की दोस्ती गाजियाबाद के एक युवक से हो गई, जिसने उसे इंस्टाग्राम के जरिए अपने जाल में फंसाया और 400 किलोमीटर दूर गाजियाबाद से फिरोजपुर आ गया और सुबह 6 बजे उक्त वयस्क लड़की के घर को बस में बैठाकर छोड़ दिया, जिसके बाद दोनों बस से गाजियाबाद के लिए रवाना हो गए। थाना ममदोट के प्रभारी निरीक्षक अभिनव चौहान के नेतृत्व में टीम गठित की गई, जिसमें चार कर्मियों को छापेमारी के लिए गाजियाबाद भेजा गया। लड़की के मोबाइल फोन की लोकेशन के मुताबिक जब छापा मारा गया तो लड़की लावारिस हालत में बैठी थी और घर में कोई मौजूद नहीं था। एक महिला पुलिस कर्मी की मदद से उक्त टीम ने बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया और मेडिकल जांच के बाद उसे थाने ममदोट लाया गया, जिसके बाद लड़की को आज सकुशल माता-पिता को सौंप दिया गया। उन्होंने बताया कि लड़की से छेड़छाड़ करने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
उधर, बच्ची के पिता सुखविंदर सिंह ने पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का धन्यवाद करते हुए केंद्र और पंजाब सरकार से मांग की है कि मोबाइल फोन पर बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे वीडियो गेम और ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया जाए. इस घटना से परेशान अन्य बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि अब जब बच्चे स्कूल जा रहे हैं और कक्षाएं लगा रहे हैं, तब भी स्कूल अधिकारी बच्चों को मोबाइल फोन पर काम करने के लिए भेज रहे हैं, जिसके कारण अभिभावकों को मोबाइल फोन देना पड़ रहा है. मजबूरी में बच्चों के माता-पिता ने स्कूलों द्वारा मोबाइल फोन पर काम भेजने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है, ताकि मोबाइल फोन में रहने वाले युवाओं को बचाया जा सके।
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